🌺साहित्य सिंधु🌺
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पद्य रचना:
शीर्षक-'ईमानदारी'
तरक्की के शाख पर चढ़ना,
ईमानदारी को पहले ताक पर रखना।
दूर तक जा सकते हो
एक अच्छा मुकाम पा सकते हो
गरीबों का हक बांट कर रखना,
ईमानदारी को पहले ताक पर रखना।
रात-दिन काट लो मेहनत में गिन-गिन
फूटी कौड़ी ना रुकेगी हथेली पर एक भी दिन
ध्यान जमीरे ख्यालात पर रखना,
ईमानदारी को पहले ताक पर रखना।
बात औरों के लाभ की मत छोड़ दो
अपने लिए औरों का सिर मत फोड़ दो
ख्याल किसी के माली हालात पर रखना,
ईमानदारी को पहले ताक पर रखना।
ऊंच-नीच की खाई पाट लो
आपस में बराबर बांट लो
श्रम अपना ही अपने हाथ पर रखना
ईमानदारी को पहले ताक पर रखना।
बनूंगा अमीर यह सोचते सोचते
उम्र ढल जएगी आंसू पोंछते- पोछते
ख्याल जरूर इस बात पर रखना
ईमानदारी को पहले ताक पर रखना।
'शर्मा धर्मेंद्र'
3 comments:
अच्छा है
We should follow this poem,nice one
U r a good writter sir
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