🌺साहित्य सिंधु 🌺
हमारा साहित्य, हमारी संस्कृति
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साहित्य सिंधु की कलम से.....
प्राणघातक वैश्विक महामारी 'कोरोना' के प्रकोप से आज दुनिया त्राहि-त्राहि कर रही है। एक गीत के माध्यम से हम संदेश देना चाहते हैं कि सोशल डिस्टेंस बनाएं, सतर्क रहें, सुरक्षित रहें क्योंकि
"जान है,तो जहान है "
धन्यवाद!
(भोजपुरी गीत)
जाने कवन , दुश्मन मुदईया 2
लईलस अईसन ,विपत्ति बलईया 2
दुनिया के रोवे कोना - कोना हो ....2 जा-जा तू जा ए कोरोना हो.....2
1
कवन अधरमी , अधरम कऽ दिहऽलस,
केकरऽ कुपुतऽवा , कुकऽरम कऽ दिहऽलस,
विधि के विधान , भईल पानी - पानी,
अधऽमी उ कवन , अनरऽथ कऽ दिहऽलस।
करऽम बा केकऽर , के फल भोगे,
सांस जिनीगिया के, टूटे रोजे -रोजे।
बंद नईखे होवत रोना-धोना हो..2
जा-जा तू जा ए कोरोनावायरस हो..2
2
छुआ -छूत के बा , ई महामारी,
दिन पर दिन इ , गोड़ पसारी,
स्वच्छ रहीं निज ,गृह से ना निकलीं,
जिनगी रही,सह लीं ई लाचारी।
सुनऽ ए सजन एगो ,कहावत पुरान बा,
बच के रहऽ जान , बा तऽ जहान बा,
होनी -हानी दईबो जाने ना हो...2
जा -जा तू जा ए कोरोनावायरस हो..2
जा -जा तू जा जा!
जा -जा तू जा जा!
जा-जा तू जा ए कोरोना.....
'शर्मा धर्मेंद्र '