🌺🌺 साहित्य सिंधु🌺🌺
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शीर्षक-'मेरी मां'
भोली-भाली मेरी मां,
प्यारी-प्यारी मेरी मां
दूध-मलाई मुझको देती,
जग में न्यारी मेरी मां।
कान पकड़कर मुझे सिखाती,
उठ बैठ भी कभी कराती
भले-बुरे का भेद बताकर,
ज्ञान दिलाती मेरी मां।
'शर्मा धर्मेंद्र ''