बाल कविता
शीर्षक- 'कोयल'
कभी-कभी क्यों आती कोयल,
सबके मन को भाती कोयल।
डाल-डाल पर फुदक-फुदक कर,
मीठे सुर में गाती कोयल।
रोज सवेरे आती हो तुम,
मीठे गीत सुनाती हो तुम।
मीठे-मीठे गीत सुना कर,
सबका मन हर्षाती कोयल।
कभी तो मेरे आंगन आओ,
मुन्ना-मुन्नी को बहलाओ।
दौड़ लगाते तेरे पीछे,
इतना क्यों सताती कोयल।
मृदुल कंठ कहां से पाया,
जो सारे जग को है भाया।
आमों के मौसम में आकर,
फिर कहां उड़ जाती कोयल।
' शर्मा धर्मेंद्र '
' शर्मा धर्मेंद्र '