Sunday, June 30, 2024

प्रवाह


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साहित्य सिंधु की कलम से..... 







शीर्षक - प्रवाह 
विधा- कविता 
रचनाकार - धर्मेंद्र कुमार शर्मा 

हाथों से ताली, होठों से वाह-वाह ढूंढता हूं,
मैं एक अच्छा कवि हूं, कविता में प्रवाह ढूंढता हूं।

जो मिटा दे इस दुनिया से बुराई को,
एक ऐसा शहंशाह ढूंढता हूं,
मैं एक अच्छा कवि हूं, कविता में प्रवाह ढूंढता हूं।

जो मस्त हैं इस दुनिया में उनकी छोड़ो,
कौन कहां दुखी हैं उनकी आह ढूंढता हूं,
मैं एक अच्छा कवि हूं,कविता में प्रभाव ढूंढता हूं।

घर छोड़कर जो बेघर हो गए शहर में,
उन बेघरों के लिए पनाह ढूंढता हूं,
मैं एक अच्छा कवि हूं, कविता में प्रवाह ढूंढता हूं।

जिसमें डूबना हर कोई चाहता है,
प्रेम का वो सागर अथाह ढूंढता हूं,
मैं एक अच्छा कवि हूं, कविता में प्रवाह ढूंढता हूं।

हर कदम पर एक मंजिल का एहसास हो,
चलने को एक ऐसा राह ढूंढता हूं,
मैं एक अच्छा कवि हूं कविता में प्रवाह ढूंढता करता हूं।

✒️👉रचनाकार-' धर्मेंद्र कुमार शर्मा '
    

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