🌺🌺 साहित्य सिंधु🌺🌺
हमारा साहित्य, हमारी संस्कृति
पद्य रचना
विधा- कविता
शीर्षक- नया साल
साहित्य सिंधु की ओर से नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं!
मंगल कामना और नए साल का आगाज करते हुए साहित्य सिंधु की ओर से समर्पित है एक नई रचना जिसका शीर्षक है-
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🌹'नया साल'🌹
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कर ना कोई खेद तू,
नवीन लक्ष्य भेद तू।
फिर से एक वक्त बेमिसाल आ गया,
चलो फिर से बंधु एक नया साल आ गया ।
कर ना कोई खेद तू,
नवीन लक्ष्य भेद तू।
फिर से एक वक्त बेमिसाल आ गया,
चलो फिर से बंधु एक नया साल आ गया ।
भूत को बिसार दो,
भविष्य को संवार लो।
करने को नया-नया कमाल आ गया,
चलो फिर से बंधु एक नया साल आ गया ।
मेरा हाल ऐसा है,
तेरा हाल कैसा है?
लेने-देने हर किसी का हाल आ गया,
चलो फिर से बंधु एक नया साल आ गया ।
स्वस्थ शीतकाल में,
अबकी नए साल में।
लय से लय मिलाओ नया ताल आ गया,
चलो फिर से बंधु एक नया साल आ गया ।
तृष्णा ढो रहा कोई,
तृप्त हो रहा कोई।
मालामाल करने या कंगाल आ गया,
चलो फिर से बंधु एक नया साल आ गया ।
उलझ रहा कोई कहीं,
सुलझ रहा कोई कहीं।
बनके कुछ उत्तर कुछ सवाल आ गया
चलो फिर से बंधु एक नया साल ।
वैध कोई हो रहा,
कैद कोई हो रहा।
मुक्ति बन रहा किसी का जाल आ गया,
चलो फिर से बंधु एक नया साल आ गया।
दुख भोगता कोई,
सुख भोगता कोई।
जश्न किसी के लिए जवाल आ गया,
चलो फिर से बंधु एक नया साल आ गया ।
क्षोभ है ध्यान है,
आगमन-प्रस्थान है।
जन्म बन रहा किसी का काल आ गया,
चलो फिर से बंधु एक नया साल आ गया ।
हर्ष कर विषाद कर,
न कल हुआ वो आज कर।
मचाने धूम-धाम से धमाल आ गया,
चलो फिर से बंधु एक नया साल आ गया ।
'शर्मा धर्मेंद्र'