🌺🌺 साहित्य सिंधु 🌺🌺
विधा - कविता
शीर्षक - बम फटाका सीताराम
विशेष आभार व्यक्त करता हूं, मैं अपने परम मित्र श्री अनिल कुमार पाठक जी का जिन्होंने हमारी कविता के भाव के समानांतर अपनी छवि को पाठकों तक पहुंचाने हेतु हमें सहर्ष स्वीकृति प्रदान की।
आशा और विश्वास करता हूं कि पूर्ण रूप से जीवन प्रासंगिक इस मगही हास्य कविता में पाठक अपने आप को कविता के केंद्र में ढूंढ पाएंगे और यह महसूस कर पाएंगे कि हम जो जीवन जीते हैं उसके लिए इस कविता की प्रत्येक पंक्तियां कितनी प्रासंगिक है।
आशा और विश्वास करता हूं कि पूर्ण रूप से जीवन प्रासंगिक इस मगही हास्य कविता में पाठक अपने आप को कविता के केंद्र में ढूंढ पाएंगे और यह महसूस कर पाएंगे कि हम जो जीवन जीते हैं उसके लिए इस कविता की प्रत्येक पंक्तियां कितनी प्रासंगिक है।
🌺 मगही आंचलिक हास्य कविता 🌺
('बम फटाका सीताराम')
1
गांवे-गांवे घूर के,
आएल ही दूर से।
छोट-बड़ सभनी के,
करई थी परनाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
2
2
ठीके सामाचार हे,
कुछ कहे के बिचार हे।
मुंहवां प तनिको ना,
लगई थे लगाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
3
3
दुनिया में आके,
जनम इ पाके।
लगल कि बन गेल,
अब सब काम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
4
4
जनम तो भरम हल,
लिखल कुछ करम हल।
अइली तो जनली,
कि केतना हे काम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
5
लईकाई तो ठीके से,
बीत गेल नीके से।
खेले आऊ खाए से,
हलक बस काम।
चढ़ल जवानी जब,
बढ़ल नदानी तब।
सांझ होवे जहंई,
तहंई बिहान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
जहिया सेयान भेली,
छौफुटिया जवान भेली।
अगुवा बराहिल जूटे,
लगलन तमाम।
8
अगुआ के भीड़ जुटे,
मनवा में लड्डू फूटे।
एगो के पांच बेरी,
करअ हली सलाम।
9
जहिया बियाह भेल,
खूब बाह-बाह भेल।
गते-गते आफत में,
परल परान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
नकीया नथा गेल,
ढोलक बनहा गेल।
नेटिया में बजे लगल,
रोज ढम-ढाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
घरवा तो बस गेल,
भार-बोझा बढ़ गेल।
बाल-बाचा घर के अब,
रहई थे ध्यान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
जिनगी चलावे ला,
पईसा कमाए ला।
घरवा में होवे लगल,
रोज कोहराम।
झिस-लपट कुछ दिन,
चला देलक काम।
बाबू हमर नाम हे,
संतोषी हम भेली ना,
लेली से देली ना,
कने से लूट लेउं,
इहे हलक धेयान।
बाबू हमर नाम हे,
झिस-लपट बेस लगल,
एक दिना ठेंस लगल।
नानी मरो अब से,
कि करब अईसन काम।
5
लईकाई तो ठीके से,
बीत गेल नीके से।
खेले आऊ खाए से,
हलक बस काम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
6
चढ़ल जवानी जब,
बढ़ल नदानी तब।
सांझ होवे जहंई,
तहंई बिहान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
7
जहिया सेयान भेली,
छौफुटिया जवान भेली।
अगुवा बराहिल जूटे,
लगलन तमाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।8
अगुआ के भीड़ जुटे,
मनवा में लड्डू फूटे।
एगो के पांच बेरी,
करअ हली सलाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।9
जहिया बियाह भेल,
खूब बाह-बाह भेल।
गते-गते आफत में,
परल परान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
10
नकीया नथा गेल,
ढोलक बनहा गेल।
नेटिया में बजे लगल,
रोज ढम-ढाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
11
घरवा तो बस गेल,
भार-बोझा बढ़ गेल।
बाल-बाचा घर के अब,
रहई थे ध्यान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
12
जिनगी चलावे ला,
पईसा कमाए ला।
घरवा में होवे लगल,
रोज कोहराम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
13
जब तक जवान हली,
आन्ही-तूफान हली।जब तक जवान हली,
झिस-लपट कुछ दिन,
चला देलक काम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
14
14
संतोषी हम भेली ना,
लेली से देली ना,
कने से लूट लेउं,
इहे हलक धेयान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
15
15
झिस-लपट बेस लगल,
एक दिना ठेंस लगल।
नानी मरो अब से,
कि करब अईसन काम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
16
पसेना बहईली जब,
देह-तोड़ कमईली जब।
उड़ गेल रूहत देखूं ,
सुख गेल चाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
17
घरवा परिवार ला,
सुखी संसार ला।
दमड़ी ला चमड़ी,
हम कईली निलाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
18
समाज के बात हे,
काहां औकात हे।
प्रतीष्ठा में ज़िन्दगी भर,
देली परान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
19
19
कईसहूं निबह गेल,
हाथ खाली रह गेल।
देहिया पर चमड़ी,
ना हथवा में दाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
20
केतनो कमा लेब,
एहिजे गंवा देब।
ई दुनिया-दारी,
सार हेया हराम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
21
21
जवानी में छुट के,
घीऊ पीली सूत के।
बाड़ा बुढऊती इ,
करई थे परेशान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
22
जीते हम तरह जाऊं,
लगई थे कि मर जाऊं।
अटकल हे नेटिये प,
आके परान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
22
जीते हम तरह जाऊं,
लगई थे कि मर जाऊं।
अटकल हे नेटिये प,
आके परान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
23
जिनगी के धत् तेरी के,
हेरा-फेरी मार तोरी के।
राम भाई हांड़ी,
चूल्हा भाई सलाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
24
चैन से जी लेउं,
राम- रस पी लेउं।
मुंअब तो धन ना,
जाएत शमशान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
25
कह देली खोल के,
जाई थी बोल के।
राम नाम सत्य हे,
जपूं सुबह-शाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
जिनगी के धत् तेरी के,
हेरा-फेरी मार तोरी के।
राम भाई हांड़ी,
चूल्हा भाई सलाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
24
चैन से जी लेउं,
राम- रस पी लेउं।
मुंअब तो धन ना,
जाएत शमशान।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
25
कह देली खोल के,
जाई थी बोल के।
राम नाम सत्य हे,
जपूं सुबह-शाम।
बाबू हमर नाम हे,
बम फटाका सीताराम।
शर्मा धर्मेंद्र
पाठकों से अनुरोध है कि कोई त्रुटि एवं व्यक्तिगत आपत्ति हो तो हमें अवश्य सूचित करें
धन्यवाद!