🌺🌺 साहित्य सिंधु🌺🌺
हमारा साहित्य,हमारी संस्कृति
पद्य रचना
विधा-कविता
शीर्षक- ' कौन हो तुम '
दिन-रात जी तोड़ कमाता हूं
बच नहीं पाता बहुत बचाता हूं
कुंडली कंगाल कर डाला तूने
मुझे दिखाना नीचा छोड़ दो
मुझे दिखाना नीचा छोड़ दो
तुम जो भी हो
मेरा पीछा छोड़ दो
ना मेरी पत्नी ना प्रेमिका हो
हद है मगर तुम चीज अजूबा हो
ये कैसा रिश्ता है
मुझसे ये रिश्ता तोड़ दो
तुम जो भी हो
मेरा पीछा छोड़ दो
पूछ लो पूछना है जिनसे
तंग हो गई ज़िन्दगी तुमसे
ना प्यार न मोहब्बत न इश्क
प्यार जताने का ये तरीका छोड़ दो
तुम जो भी हो
मेरा पीछा छोड़ दो
ना रोटी ना कपड़ा ना मकान
अभाव मुक्त न हो सका ये इंसान
वीरान कर चुकी हो अब
मेरा बगीचा छोड़ दो
वीरान कर चुकी हो अब
मेरा बगीचा छोड़ दो
तुम जो भी हो
मेरा पीछा छोड़ दो
'शर्मा धर्मेंद्र'
'शर्मा धर्मेंद्र'
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