🌺🌺 साहित्य सिंधु🌺🌺
(हमारा साहित्य, हमारी संस्कृति)
पद्य रचना
विधा - शायरी ( कविता )
प्रकार - तरन्नुम (मधुर गीत)
शीर्षक- लाया हूं
वर्षों से दबा दिल का,अरमान लाया हूं,
पहचान बने मेरा अपनी पहचान लाया हूं।
कोई सोना-चांदी या हीरा तुझ पर लुटा ए तो,
तुझ पर मैं लुटाने को,अपना जी जान लाया हूं।
जीवन के झमेले से तो हर कोई हार जाता है,
जो जीत गए उनके लिए इनाम लाया हूं।
कोई भाव से मीठा तो कोई प्रभाव से मीठा है,
जो सबसे मीठा है ऐसी जुबान लाया हूं।
वही कद्र करेगा जो खुद अपना कद्र समझता है,
सम्मान बढे़ सबका मैं खुद सम्मान से आया हूं।
है दफन बहुत दिन से एक जलजला दिल में,
जरा संभल के रहना तुम मैं एक तूफान लाया हूं।
वर्षों से दबा दिल का अरमान लाया हूं,
पहचान बने मेरा अपनी पहचान लाया हूं।
' धर्मेंद्र कुमार शर्मा '
' धर्मेंद्र कुमार शर्मा '
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