Sunday, December 15, 2019

'क्या-क्या है?'


🌺🌺साहित्य सिंधु🌺🌺
हमारा साहित्य,हम हमा संस्कृति




पद्य रचना
विधा- कविता
शीर्षक- ' क्या-क्या है? '


दुनिया में तो क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

1

काम है,
क्रोध है,
लोभ है,
मोह है।
और सुन क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

2

सच है,
झूठ है,
तृप्ति है,
भूख है।
और पूछ क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

3

दोस्ती है,
दुश्मनी है,
बनी है,
ठनी है।
सुनता जा क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

4

समर्थन है,
बहिष्कार है,
दंड है,
पुरस्कार है।
अनुमान लगा क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

5

हर्ष है,
विषाद है,
विरोध है,
विवाद है।
और सुनेगा क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

6

नीति है,
अनीति है,
एकता है,
कूटनीति है।
क्या खबर तुझको क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

7

शाम है,
दाम है,
दंड है,
भेद है।
और बताएं क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

8

जन्म है,
मृत्यु है,
बंधन है,
मुक्ति है।
ज्ञात हुआ क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

9

सवाल है,
जवाब है,
हकीकत है,
ख्वाब है।
सोच जरा क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

10

ज्ञान है,
अज्ञान है,
अभिमान है,
स्वाभिमान है,
देख इधर क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

11

अंधेरा है,
  उजाला है,
दान है,
घोटाला है।
चुन ले जरा क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

12

दौलत है,
सोहरत है, 
कुर्बानी है,
शहादत है।
देख-देख क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

13

विष है,
अमृत है,
शहद है,
घृत है।
गौर कर क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

14

योग है, 
वियोग है,
दुर्भाग्य है,
संयोग है।
और सुनेगा क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

15

प्रेम है, 
घृणा है,
तृप्ति है,
तृष्णा है।
कैसे समझाएं क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

16

आसक्ति है,
विरक्ति है,
निर्बलता है,
शक्ति है।
सबको बता क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

17

हिंसा है,
अहिंसा है,
तमाशा है,
चिंता है।
और बताएं क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

18

धर्म है,
अधर्म है,
कर्म है,
विकर्म है।
न जाने और क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

19

स्वर्ग है,
नर्क है,
 समान है,
फर्क है।
मैं भी नहीं जानता क्या-क्या है
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

20

पाप है,
पुण्य हैं,
अनंत है,
शून्य है।
मत पूछ और अभी क्या-क्या है?
पर ढूंढ, तुम्हारे लिए क्या-क्या है?

                        'शर्मा धर्मेंद्र '

No comments: