🌺साहित्य सिंधु 🌺
हमारा साहित्य, हमारी संस्कृति
Our blog
Our blog
साहित्य सिंधु की कलम से.....
पद्य रचना
विधा-कविता
शीर्षक-'देश!'
घाव इसने दिया या उसने,
आखिर दिल दुखाया तेरा किसने?
नाराज क्यों हो,बताओ तो हमें?
देश !
क्या हो गया है तुम्हें,
कि कुछ हो रहा है हमें?
चीख-पुकार आह निकल रही है।
हिंसा की चिंगारी कहां सुलग रही है?
ज्वाला भड़का कौन जला रहा है तुम्हें?
देश !
क्या हो गया है तुम्हें,
कि कुछ हो रहा है हमें ?
हथियार से वार किसने किया?
खुद को तुझ पर वार किसने दिया?
छीन गया,क्या मिल गया तुम्हें?
देश !
क्या हो गया है तुम्हें,
कि कुछ हो रहा है हमें ?
सब कुछ किसके पक्ष में है?
बता कौन तेरे विपक्ष में है?
विवश कर वश में किसने किया तुम्हें?
देश !
क्या हो गया है तुम्हें,
कि कुछ हो रहा है हमें ?
अस्मिता को चिता में कौन जला रहा है?
अपराधों का बवंडर कौन उठा रहा है?
जघन्य मंशा लिए कौन घूर रहा है तुम्हें?
देश !
क्या हो गया है तुम्हें,
कि कुछ हो रहा है हमें ?
प्रीत की रीत चलाने वाले श्याम कहां गए?
मर्यादा पुरुषोत्तम वो श्रीराम कहां गए?
कंस-रावण बन,कौन सता रहा है तुम्हें?
देश !
क्या हो गया है तुम्हें,
कि कुछ हो रहा है हमें ?
'शर्मा धर्मेंद्र'
No comments:
Post a Comment