🌺साहित्य सिंधु 🌺
हमारा साहित्य, हमारी संस्कृति
Our blog
www.sahityasindhu1.blogspot.com
साहित्य सिंधु की कलम से.....
विधा - कविता
रचनाकार - धर्मेंद्र कुमार शर्मा
कर में लेकर कर घूमती हूं ,
देखा कि संग-संग झूमती हूं ,
कलि-कुसुम , उपवन को चूमती हूं ,
लुक-छिप नटखट को ढूंढती हूं ।
कभी उनके पीछे भागी मैं, कभी बांके मेरे पीछे धाए,
इक रात श्याम सपने में आए।
काश! कि एक दिन मिल जाते ,
तन-मन, रोम-रोम खिल जाते ,
हृदय के जख्म सब सिल जाते ,
मन व्यथा दूर तिल-तिल जाते।
यह कोरी कल्पना कर कर के , सखी मेरा मन विह्वल जाए,
इक रात श्याम सपने में आए।
रचनाकार-धर्मेन्द्र कुमार शर्मा,