Friday, July 15, 2022

इक रात श्याम सपने में आए।

 

🌺साहित्य सिंधु 🌺

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साहित्य सिंधु की कलम से..... 


विधा - कविता
रचनाकार - धर्मेंद्र कुमार शर्मा 


कर में लेकर कर घूमती हूं ,

देखा कि संग-संग झूमती हूं ,

कलि-कुसुम , उपवन को चूमती हूं ,

लुक-छिप नटखट को ढूंढती हूं ।

कभी उनके पीछे भागी मैं, कभी बांके मेरे पीछे धाए,

इक रात श्याम सपने में आए।

       

काश! कि एक दिन मिल जाते ,

तन-मन, रोम-रोम खिल जाते ,

हृदय के जख्म सब सिल जाते ,

मन व्यथा दूर तिल-तिल जाते।

यह कोरी कल्पना कर कर के , सखी मेरा मन विह्वल जाए,

इक रात श्याम सपने में आए।


 रचनाकार-धर्मेन्द्र कुमार शर्मा, 




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