🌺साहित्य सिंधु 🌺
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साहित्य सिंधु की कलम से.....
पद्य रचना
(शीर्षक - ' बात चले ')
कंचन काया की बात चले,
तो हो वो बहार चमन की तरह।
जीवन के आनंद की बात चले,
तो हो निश्चल बचपन की तरह।
आजादी की जब बात चले,
तो हो खुले गगन की तरह।
मीठी वाणी की बात चले,
तो घी, मकरंद , मक्खन की तरह।
घर-घर खुशियों की बात चले,
फूलों ,बागों ,उपवन की तरह।
जब मात-पिता की बात चले,
तो हो देव-पूजन की तरह।
पति-पत्नी प्रेम की बात चले,
टिप-टिप , रिम-झिम सावन की तरह।
जब भ्रातृ प्रेम की बात चले,
हो भरत और लक्ष्मण की तरह।
वैरी और वैर की बात चले,
तो हो वो राम ,रावण की तरह
सज्जनों की सजनता की बात चले,
तो हो शीतल चंदन की तरह।
हृदय के गर्व की बात चले,
किसी चरित्रवान सज्जन की तरह।
✒️👉रचनाकार-' धर्मेंद्र कुमार शर्मा '
1 comment:
Hello
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